4 प्रमुख वेद भारतीय संस्कृति के मूलाधार हैं। सृष्टि के आदिकाल में परमपिता परमात्मा ने चार ऋषियों के पवित्र अंत:करण में वेदरूपी सूर्य का प्रकाश किया। अग्नि ऋषि को ऋग्वेद का, वायु ऋषि को यजुर्वेद का, आदित्य ऋषि को सामवेद का, अंगिरा ऋषि को अथर्ववेद का ज्ञान दिया। इन सब बातों के लिए यह  वेद ज्ञान दिया,क्योंकि वेद जीवन ग्रंथ हैं।


1) ऋग्वेद : ऋग्वेद का महत्व चारों वेदों में सर्वाधिक है और सर्वप्रथम ऋग्वेद का ही नाम लिया जाता है।कृष्ण यजुर्वेदीय तैत्तिरीय संहिता में यह कहा गया है कि यजुर्वेद और सामवेद के मन्त्रों से जो कुछ किया जाता है, वह तब तक दृढ़ नही होता, जब तक कि ऋग्वेद के मन्त्रों का प्रयोग न किया जाय।जो कुछ याज्ञिक अनुष्ठान ऋग्वेद के मन्त्रों  से किया जाता है, वह दृढ़ है।, इस वचन से भी ऋग्वेद के सर्वाधिक महत्व का ज्ञान होता है।जहाँ पर अनेक वैदिक विद्वानों का सम्मेलन होता है, वहाँ सर्वप्रथम  तिलक का सम्मान ऋग्वेद के विद्वान का ही होता है।वसन्त ऋतु में वेदपाठ के समय ऋग्वेद से ही वेदपाठ शुरु किया जाता है।  DOWNLOAD


2) सामवेद : सामवेद गीतात्मक यानी गीत के रूप में है। इस वेद को संगीत शास्त्र का मूल माना जाता है। 1824 मंत्रों के इस वेद में 75 मंत्रों को छोड़कर शेष सब मंत्र ऋग्वेद से ही लिए गए हैं। इसमें सविता, अग्नि और इंद्र देवताओं के बारे में जिक्र मिलता है। DOWNLOAD


3) यजुर्वेद : यजुर्वेद हिन्दू धर्म का एक महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ और चार वेदों में से एक है। इसमें यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिये गद्य और पद्य मन्त्र हैं। ये हिन्दू धर्म के चार पवित्रतम प्रमुख ग्रन्थों में से एक है और अक्सर ऋग्वेद के बाद दूसरा वेद माना जाता है - इसमें ऋग्वेद के ६६३ मंत्र पाए जाते हैं।  DOWNLOAD


4) अथर्ववेद : अथर्ववेद में मंत्रों से रोग निदान, तंत्र-मंत्र साधना सहित कई अनूठे रहस्य बताए गए हैं। पंडित वैभव बताते हैं कि वैदिक काल में वेद मंत्रों की साधना से न जाने कितने ही रोगियों के रोगनाश, आत्मिक उन्नति के उदाहरण मिलते हैं। इसी बात को महाभाष्यकार पतंजलि, वेद भाष्यकार सायण जैसे विद्वानों ने कई बार साबित किया है।  DOWNLOAD